किराड़ू का मंदिर - दक्षिण भारतीय शैली में बना किराड़ू का मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। बाड़मेर से 43 किलोमीटर दूर हाथमा गांव में ये मंदिर है। कहा जाता है कि खजुराहो जैसा दूसरा कोई मंदिर भारत में नहीं है, लेकिन ये बात पूरी तरह सच नहीं है, क्योंकि खजुराहो की तरह ही राजस्थान में भी एक मंदिर है |
बाड़मेर जिले में स्थित किराडू मंदिर - इसे राजस्थान का खजुराहो कहा जाता है, जबकि जगत लघु खजुराहो के रूप में जाना जाता है। दक्षिण भारतीय शैली में बना किराड़ू का मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।
Kiradu Temple History In Hindi
राजस्थान के बाड़मेर से 30 किलोमीटर एक छोटा सा गांव है किराड़ू। इस गांव में एक मंदिर है। इस गांव का नाम इस मंदिर के नाम पर ही पड़ा है। कहते हैं कि 11वीं शताब्दी में किराड़ू परमार वंश की राजधानी हुआ करता थी। लेकिन आज ये यहां चारों सन्नाटा पसर हुआ है। जो भी शख्स इस जगह के बारे में जानता है उसके चेहरे पर किराड़ू के नाम दहशत पसर जाती है। किवदंतियों में ऐसा उल्लेख है कि बाड़मेर का यह एतिहासिक मंदिर श्रापित है।
किराडू मंदिर को माँ कीराधारीनाथ या कीराधारी माता के नाम से भी जाना जाता है। यहां माँ की पूजा की जाती है और स्थानीय लोग इसे बहुत मानते हैं। इस मंदिर का समय के साथ इतिहास बहुत पुराना है और यह स्थान हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
Kiradu Mandir In Hindi
किराडू मंदिर में साल में कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, और यहां कई श्रद्धालु भक्त आते हैं ताकि वे माँ की दर्शन कर सकें और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
किराडू मंदिर राजस्थान की उस रेतीली भूमि पर बना हैं जहां पर कई राज दफन हैं | इस मंदिर के लिए ये कथा भी प्रचलित है कि शाम होने के बाद यहां जो भी ठहरता है वो पत्थर का बन जाता है. या उसकी मौत हो जाती है. इसी डर के चलते ये पूरा क्षेत्र विरान हो जाता है. इस मंदिर के सुनसान रहने के पीछे एक कहानी है. यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि बहुत सदियों पहले एक महान ऋृषि अपने अनुनानियों के साथ इस जगह पर आए थे और जब वो घूमने निकले तो उनके सभी अनुनानियों की तबीयत खराब हो गई. इस दौरान उनकी किसी ने भी सहायता नहीं की, तो उन्होनें पूरे गांव को श्राप दिया कि जिस जगह इंसानियत नहीं है उन्हें पत्थर का बन जाना चाहिए |
आज इन पांच मंदिरों में से केवल विष्णु मंदिर और सोमेश्वर मंदिर ही ठीक हालत में है। सोमेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि विष्णु मंदिर से ही यहां के स्थापत्य कला की शुरुआत हुई थी और सोमेश्वर मंदिर को इस कला के उत्कर्ष का अंत माना जाता है।
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