नवरात्रि के नौ दिनों में नौ विशेष रूपों में किस दिन कोनसी देवी की होती है पूजा ? जानिए Shree Durga Chalisa

Meri Jivani
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 नवरात्रि का अर्थ होता है 'नौ रातें'। इस हिन्दू पर्व का आयोजन वर्षा ऋतु के बाद आने वाले शरद ऋतु में किया जाता है। नवरात्रि का यह पर्व देवी दुर्गा की पूजा और भक्ति के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि के इस पर्व में भक्त नौ दिन तक व्रत रखते हैं और देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।

नवरात्रि के दौरान लोग विभिन्न रंग-बिरंगे वस्त्र पहनते हैं और खास तौर से नवरात्रि के नौ दिनों में नौ रंगों की पूजा करते हैं। प्रत्येक दिन एक रंग की देवी की पूजा की जाती है। इस पर्व के दौरान लोग व्रती रहकर मन, वचन, और क्रिया से पवित्र रहने का प्रयास करते हैं।



नवरात्रि के नौ दिनों में नौ विशेष रूपों की देवी की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है। ये नौ रूप हैं - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। प्रत्येक देवी का विशेष महत्व है और उनकी पूजा के बाद भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।


श्री दुर्गा चालीसा :


नमो नमो दुर्गे सुख करनी,

नमो नमो अंबे दुःख हरनी।


निरंकार है ज्योति तुम्हारी,

तिहुँ लोक फैली उजियारी।


शशि ललाट मुख महा विशाला,

नेत्र लाल भृकुटि विकराला।


रूप मातु को अधिक सुहावे,

दरशन करत जन अति सुख पावे।


तुम संसार शक्ति लया कीना,

पालन हेतु अन्न धन दीना।


अन्नपूर्णा हुई जग पालन हारिणी,

चम्बा बण वाले पुकारी।


भुजा चार अति शोभित हैं,

रत्न खचित फरे कर खडग खपाईता।


नगेन्द्र हार तिगम्बर सोहाई,

वस्त्र खाल बघम्बर सोहाई।


पारी गांठ मृदु मुस्काना,

धन निधि को लागे समाना।


रत्न सिंहासन बैठी छायी,

तुम्हें देख कर जग जायी।


भगवत भवानी तुम मान हो,

जन हितकारी आशा पूरन हो।


पूर्णानंद मैं परी जान तुम्हारी,

जय जय जय अंबे भवानी।


भवानी भुजबल चरणम तिहारो,

यश गाति वात निकट नहीं आवत, भवानी।


श्री दुर्गा चालीसा जो गावे,

सब सुख भोग परम पद पावे।


जय अंबे गौरी महारानी की,

जय श्री दुर्गा चालीसा की।


नवरात्रि के नौ दिनों में नौ विशेष रूपों में किस दिन कोनसी देवी की होती है पूजा ?


शैलपुत्री: पहली नवरात्र में देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी का अर्थ है 'हिमाचल की रानी'


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम: 


ब्रह्मचारिणी: दूसरी नवरात्र में देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी तपस्या और व्रत का प्रतीक हैं।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:


चंद्रघंटा: तीसरी नवरात्र में देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जिनका नाम चंद्रमा की चांदनी और घंटा की सजीवता से आया है।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:


कूष्माण्डा: चौथी नवरात्र में देवी कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी का अर्थ है 'उसकी जगह से उत्पन्न होनेवाली'।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:


स्कंदमाता: पाँचवीं नवरात्र में देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी का अर्थ है 'स्कंद (कार्तिकेय) की मां'।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:


कात्यायनी: छठी नवरात्र में देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी का अर्थ है 'कत्यायन ऋषि की पुत्री'।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:


कालरात्रि: सातवीं नवरात्र में देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी का अर्थ है 'काल की नाशिनी'।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:


महागौरी: आठवीं नवरात्र में देवी महागौरी की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी का अर्थ है 'महान और सादगी से परिपूर्ण'।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:


सिद्धिदात्री: नौवीं और आखिरी नवरात्र में देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी सभी सिद्धियों की प्रदात्री हैं।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:


इन नौ देवियों की पूजा का महत्व अत्यधिक है और भक्तियों द्वारा इनकी उपासना करने से मानव जीवन में शक्ति, संयम, और ध्यान की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि का यह पर्व धर्म, संस्कृति, और परंपरा का प्रतीक है और यह हमें मां दुर्गा की शक्ति और प्रेरणा का आदान-प्रदान करता है। नवरात्रि के इस पर्व में मनाई जाने वाली धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ हमें हमारी संस्कृति और परंपरा के प्रति गर्व महसूस करने का अवसर प्रदान करती हैं। इस पर्व के महत्व को समझते हुए हमें अपनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए।

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