सनातन धर्म, जिसे हिन्दू धर्म भी कहा जाता है, एक प्राचीन धार्मिक और दार्शनिक परंपरा है जो भारतीय उपमहाद्वीप में उत्थित हुई है। सनातन धर्म का परिचय एक निरंतर और सतत परंपरागत प्रणाली के रूप में दिया जा सकता है, जिसका अर्थ है "शाश्वत" या "अनंत"।
सनातन धर्म की उत्थानी की तारीख निश्चित रूप से नहीं जानी जा सकती है, क्योंकि यह बहुत प्राचीन समयों से विकसित हो रहा है। हिन्दू शास्त्रों में उल्लिखित धार्मिक ग्रंथों, जैसे कि वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, रामायण, भगवद गीता आदि, सनातन धर्म की जड़ों का पता लगाने में मदद करते हैं। यह धार्मिक परंपरा अनेक शताब्दियों से चली आ रही है और इसकी प्राचीनता की गहराईयों को समझना बहुत कठिन है।
इसलिए, सनातन धर्म की वास्तविक प्राचीनता को निर्धारित करना मुश्किल है, लेकिन यह निश्चित है कि यह बहुत ही प्राचीन और समृद्ध धार्मिक परंपरा है जो भारतीय सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सनातन धर्म क्या है ? सनातन धर्म का अर्थ ? विशेषता, महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोन ? What Is Sanatan Dharam?
सनातन धर्म का अर्थ 'शाश्वत' या 'अनंत' धर्म है, जिसमें सत्य, नैतिकता, और धार्मिकता की महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं। यह धर्म भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का हिस्सा है और इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो सनातन धर्म के विशेषता को प्रकट करती हैं:
वेद-पुराण: सनातन धर्म की प्रमुख ग्रंथों में वेद और पुराण शामिल हैं, जिनमें ज्ञान, धर्म, कर्म, और ब्रह्म के बारे में विस्तार से विचार किया गया है।
संस्कृति और रिति-रिवाज: सनातन धर्म में संस्कृति, रिति-रिवाज और परंपराएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो समाज की एकता और सामाजिक संरचना को प्रकट करती हैं।
मोक्ष की प्राप्ति: सनातन धर्म में मोक्ष की प्राप्ति, यानी मुक्ति, आत्मा को परम ब्रह्म के साथ मिलन की प्राप्ति, का लक्ष्य है।
कर्म और धर्म: सनातन धर्म में कर्म का अत्यधिक महत्व है। व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार जीने की सलाह दी जाती है।
धार्मिकता और समाज सेवा: सनातन धर्म में समाज सेवा और धार्मिकता के माध्यम से आत्मा का शुद्धीकरण की ओर प्रवृत्ति है।
यह धार्मिक विचारधारा भारत के इतिहास, संस्कृति और समृद्धि का महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है और इसे आज भी अनेक लोगों द्वारा अपनाया जा रहा है।
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